*"किसान चाहे तो खुद रद्द कर सकता है तीनों कृषि कानूनों को"* *by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब**इस देश के जो भी किसान केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के पक्ष में नहीं हैं,* *सरकार उनको रद्द नहीं कर रही है,* *आप खुद कर दे रद्द,* *मैंने तो कर दिये रद्द,* *आप भी कर दो रद्द* - *देखो कैसे* - 1. पहला कानून है कि किसान केवल एपीएमसी पर मंडियों में अपनी फसल को बेचने के लिए मजबूर नहीं होगा, जहाँ चाहे और जिसे चाहे बेच सकेगा। जिन किसानों को यह स्वतंत्रता अच्छी न लगे, वे तय कर सकते हैं कि हम तो एपीएमसी पर ही मंडी में जा कर उसी आढ़ती को अपनी फसल बेचेंगे, जिसे पहले बेचते रहे हैं। हो गया पहला कानून रद्द!2. दूसरा कानून है कि किसान फसल रोपते समय ही पहले से किसी खरीदार से समझौता कर सकेंगे कि उनकी फसल वह खरीदार किस भाव पर खरीदेगा। खरीदार जाये ठेंगे पे! न करें समझौता! हो गया दूसरा कानून रद्द!3. तीसरा कानून है कि कोई जितनी चाहे उतनी कृषि उपज इकट्ठा रख सकता है, कोई सीमा नहीं रहेगी। वैसे तो किसी किसान के लिए यह बात लागू ही नहीं है, व्यापारियों के लिए है। पर जो किसान इस कानून को गलत पा रहा हो, वह अपने खलिहान में फसल रखने की सीमा खुद तय कर ले! हो गया तीसरा कानून रद्द! बाकी जिनको ये कानून सही लगते हैं, उन्हें उनके हिसाब से जीने दो!आपको अगर कानून पसंद नहीं है तो आप उसको नहीं माने कोई जोर जबरदस्ती नहीं है आप पुराने तरीके से ही अपनी फसल को बेचे, पर जिन किसानों को इनका लाभ लेना है कृपया उनको इन कानूनों का लाभ लेने दे। धन्यवाद* "If the farmer wants to cancel the three agricultural laws himself" * * by social worker Vanita Kasani Punjab * * Whatever farmers of this country are not in favor of the three agricultural laws of the central government, * * The government is not canceling them, * You cancel the tax yourself, * * I have canceled the tax, * * You also tax Two cancel * - * see how * - 1. The first law is that the farmer will not be compelled to sell his crop in mandis only at APMC, where he can sell it to whomever he wants. Those farmers who do not like this freedom can decide that we will go to Mandi at APMC and sell our crop to the same agent who has been selling it earlier. First law canceled 2. The second law is that at the time of planting the crop, the farmers will be able to compromise with any buyer beforehand, at what price that buyer will buy their crop. Buyers will go in disguise! Do not compromise The second law is canceled! 3. The third law is that one can collect as much agricultural produce as he wants, there will be no limit. Although this is not applicable to any farmer, it is for the traders. But the farmer who is getting this law wrong, he should decide the extent of keeping the crop in his barn. The third law has been canceled The rest of those who find these laws right, let them live according to them! If you do not like the law, then you do not believe that there is no force, you sell your crop in the old way, but the farmers who want to take advantage of them, please let them take advantage of these laws. Thank you,

*"किसान चाहे तो खुद रद्द कर सकता है तीनों कृषि कानूनों को"* *by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब*

*इस देश के जो भी किसान केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के पक्ष में नहीं हैं,* *सरकार उनको रद्द नहीं कर रही है,* *आप खुद कर दे रद्द,* *मैंने तो कर दिये रद्द,* *आप भी कर दो रद्द* - *देखो कैसे* - 
1. पहला कानून है कि किसान केवल एपीएमसी पर मंडियों में अपनी फसल को बेचने के लिए मजबूर नहीं होगा, जहाँ चाहे और जिसे चाहे बेच सकेगा। जिन किसानों को यह स्वतंत्रता अच्छी न लगे, वे तय कर सकते हैं कि हम तो एपीएमसी पर ही मंडी में जा कर उसी आढ़ती को अपनी फसल बेचेंगे, जिसे पहले बेचते रहे हैं। हो गया पहला कानून रद्द!
2. दूसरा कानून है कि किसान फसल रोपते समय ही पहले से किसी खरीदार से समझौता कर सकेंगे कि उनकी फसल वह खरीदार किस भाव पर खरीदेगा। खरीदार जाये ठेंगे पे! न करें समझौता! हो गया दूसरा कानून रद्द!
3. तीसरा कानून है कि कोई जितनी चाहे उतनी कृषि उपज इकट्ठा रख सकता है, कोई सीमा नहीं रहेगी। वैसे तो किसी किसान के लिए यह बात लागू ही नहीं है, व्यापारियों के लिए है। पर जो किसान इस कानून को गलत पा रहा हो, वह अपने खलिहान में फसल रखने की सीमा खुद तय कर ले! हो गया तीसरा कानून रद्द! 
बाकी जिनको ये कानून सही लगते हैं, उन्हें उनके हिसाब से जीने दो!

आपको अगर कानून पसंद नहीं है तो आप उसको नहीं माने कोई जोर जबरदस्ती नहीं है आप पुराने तरीके से ही अपनी फसल को बेचे, पर जिन किसानों को इनका लाभ लेना है कृपया उनको इन कानूनों का लाभ लेने दे। 

धन्यवाद
* "If the farmer wants to cancel the three agricultural laws himself" * * by social worker Vanita Kasani Punjab *

 * Whatever farmers of this country are not in favor of the three agricultural laws of the central government, * * The government is not canceling them, * You cancel the tax yourself, * * I have canceled the tax, * * You also tax Two cancel * - * see how * -
 1. The first law is that the farmer will not be compelled to sell his crop in mandis only at APMC, where he can sell it to whomever he wants. Those farmers who do not like this freedom can decide that we will go to Mandi at APMC and sell our crop to the same agent who has been selling it earlier. First law canceled
 2. The second law is that at the time of planting the crop, the farmers will be able to compromise with any buyer beforehand, at what price that buyer will buy their crop. Buyers will go in disguise! Do not compromise The second law is canceled!
 3. The third law is that one can collect as much agricultural produce as he wants, there will be no limit. Although this is not applicable to any farmer, it is for the traders. But the farmer who is getting this law wrong, he should decide the extent of keeping the crop in his barn. The third law has been canceled
 The rest of those who find these laws right, let them live according to them!

 If you do not like the law, then you do not believe that there is no force, you sell your crop in the old way, but the farmers who want to take advantage of them, please let them take advantage of these laws.

 Thank you

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राम नाम(ram nam) लेखन की महिमा, नाम लेखन से मन शीघ्र एकाग्र होता है..राम नाम(ram nam) लेखन की महिमा, नाम लेखन से मन शीघ्र एकाग्र होता है.. By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब हरि नाम लेखन की महिमा(hari nam lekhan mahima):-प्रभु से जुड़ने के अनेक माध्यम हमारे सद्ग्रंथो, ऋषि मुनियों एवं संतो द्वारा बताये गये है, उनमे से एक है हरि नाम (ram nam) जप और नाम लेखन |बाल वनिता महिला आश्रमनाम में कोई भेद नही है..‘राम‘,’कृष्ण‘,’शिव‘,’राधे‘ जो नाम आपको प्रिय लगे उसी को पकड़ लो तो बेडा पार हो जायेगा | नाम में भेद करना नाम – अपराध है,यही प्रयास करे की हमारे द्वरा कभी नाम अपराध न बने |कलयुग में केवल नाम ही आधार है ..तुलसीदासजी ने भी रामचरित मानस में कहा है..कलियुग केवल नाम आधारा | सुमीर सुमीर नर उतरही पारा ||सतयुग में तप,ध्यान , त्रेता में यग्य,योग, और द्वापर में जो फल पूजा पाठ और कर्मकांड से मिलता था वाही फल कलियुग में मात्र हरि नाम(ram nam) जप या नाम लेखन से मिलता है |नाम लेखन में मन बहुत जल्दी एकाग्र होता है | नाम जप से नाम लेखन को तीन गुना अधिक श्रेष्ठ माना गया है |क्योकि नाम लेखन से नाम का दर्शन, हाथ से सेवा नेत्रों से दर्शन और मानसिक उच्चारण, ये तीन कम एक साथ होते है |आनंद रामायण में नाम लेखन की महिमा(ram naam lekhan) :-आनंद रामायण में लिखा है सम्पूर्ण प्रकार के मनोरथ की पूर्ति नाम लेखन से हो जाती है |इस पावन साधन से लोकिक कम्नाये भी पूर्ण हो जातीहै और यदि कोई कामना न हो तो भगवन के चरण कमलो में प्रेम की प्राप्ती हो जाती है |महामंत्र जोइ जपत महेसू । कासीं मुकुति हेतु उपदेसू ||महिमा जासु जान गनराऊ। प्रथम पूजिअत नाम प्रभाऊ ||अनादि काल से स्वयं महादेव जिस नाम का एक निष्ठ हो निरंतर स्मरण करते हुए जिनकी महिमा का बखान भगवती पार्वती से करते रहें हैं.जिनके सेवार्थ उन्होंने श्री हनुमत रूप में अवतार लिया ऐसे श्री राम का नाम लिखना सुनना कहना भव सागर से तारणहार तो है ही –साथ ही मानव मात्र को समस्त प्रकार के दैविक दैहिक भौतिक सुखों से भी श्रीयुत करने में सर्वथा प्रभावी तथा आत्मोत्थान का सबसे सुगम माध्यम है .महावीर हनुमानजी ने स्वयं राम नाम की महिमा को प्रभु श्री राम से भी बड़ा माना है .राम से बड़ा राम का नाम ..वे कहते हैं –“प्रभो! आपसे तो आपका नाम बहुत ही श्रेष्ठ है,ऐसा मैं निश्चयपूर्वक कहता हूँ। आपने तो त्रेतायुग को तारा है परंतु आपका नाम तो सदा-सर्वदा तीनों भुवनों को तारता ही रहता है।”यह है ज्ञानियों में अग्रगण्य हनुमानजी की भगवन्नाम- निष्ठा !हनुमानजी ने यहाँ दुःख, शोक, चिंता, संताप के सागर इस संसार से तरने के लिए सबसे सरल एवं सबसे सुगम साधन के रूप में भगवन्नाम का, भगवन्नामयुक्त इष्टमंत्र का स्मरण किया है।राम नाम(ram nam) जप और नाम लेखन की महिमा :-एकतः सकला मन्त्रःएकतो ज्ञान कोटयःएकतो राम नाम स्यात तदपि स्यान्नैव सममअर्थात: तराजू के एक पलड़े में सभी महामंत्रों एवं कोटि ज्ञान ध्यानादि साधनों के फलों को रखा जाए और दुसरे पलड़े में केवल राम नाम रख दिया जाए तो भी सब मिलकर राम नाम की तुलना नहीं कर सकते.ये जपन्ति सदा स्नेहान्नाम मांगल्य कारणं श्रीमतो रामचन्द्रस्य क्रिपालोर्मम स्वामिनःतेषामर्थ सदा विप्रः प्रदताहम प्रयत्नतः ददामि वांछित नित्यं सर्वदा सौख्य्मुत्तममअर्थात: जो मानव मेरे स्वामी दयासागर श्री रामचन्द्रजी के मंगलकारी नाम का सदा प्रेमपूर्वक जप करते हैं , उनके लिए मैं सदा यत्नपूर्वक प्रदाता बनकर उनकी अभिलाषा पूरित करते हुए उत्तम सुख देता रहता हूँ.“प्रेम ते प्रगट होहि मैं जाना”श्री रामनाम लेखन से सुमिरन तो होता ही है साथ ही लेखक का अंतर्मन श्री राम के दिव्य प्रेम व तेज से जागृत होने लगता हैAlso read:- भक्तिबाल वनिता महिला आश्रमतो आइये अपने समय को सुव्यवस्थित समायोजित करते हुए इस राम नाम लेखन महायज्ञ में पूर्ण श्रद्धा से सम्मिलित हो अक्षय पुण्य के भागी बनें. मानस पटल पर प्रभु श्री राम की छवि हो पवन पुत्र की दया हो और अंगुलिया की-बोर्ड पर अथवा कलम पकड़े हुए.. राम नाम जप माला में दिव्य मणियाँ स्वतः ही पिरोयीं जाएंगी.राम नाम लेखन व जाप से लाभ:1,25,000 – इस जन्म में अजिॅत पापो का नाश होना शुरू हो जाता है ।2,25,000 -जीवन के पापो का शमन हो जाता है व सभी क्रूर व दुष्ट गृहों का निवारण शुरू हो जाता है5,00,000 -भगवान राम की कृपा से चरणों की भक्ति में वृध्दि होती हैं ।10,00,000 -पूर्व जन्मों के समस्त पापो का क्षय होता हैं ।25,00,000 -जीवन के दुःस्वप्न का नाश होता हैं एवं समस्त ऐश्वर्य भाग व मुक्ति का फल मिलता हैं ।50,00,000 -सभी तरह को पुण्यों एवं यज्ञों का फल मिलता हैं ।75,00,000 -अनेक जन्मों के पापौ का नाश हो जाता हैं तथा भगवान राम की अखण्ड भक्ति मिलती हैं ।1,00,00,000 -अश्वमेघ यज्ञ के द्विगुण रूप में फल मिलता हैं और – सर्वपाप विनिर्मुक्तो विष्णु लोकं स गच्छति ।रामनाम लिखने से एकाग्रता आती और मानसिक परेशानियां दूर होती हैं।नाम जप न बने तो नाम लेखन करो |श्री राधे! जय श्री राम!! जय श्री कृष्ण!!