4 Shriram RakshastotramSriganasayanam:.Asya Shriram Rakshastotramantrasya.Budkaushik Rishi:.Sri Sitaramchandrodevata.Anushtupa Chand:. Sita Shakti:.Srimadhanumman Keelakam.Srisitaram Chandrapp


॥ श्रीरामरक्षास्तोत्रम्‌ ॥

श्रीगणेशायनम: ।
अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य ।
बुधकौशिक ऋषि: ।
श्रीसीतारामचंद्रोदेवता ।
अनुष्टुप्‌ छन्द: । सीता शक्ति: ।
श्रीमद्‌हनुमान्‌ कीलकम्‌ ।
श्रीसीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ॥

By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब

अर्थ : इस राम रक्षा स्तोत्र मंत्रके रचयिता बुधकौशिक ऋषि हैं, सीता और रामचंद्र देवता हैं, अनुष्टुप छंद हैं, सीता शक्ति हैं, हनुमानजी कीलक है तथा श्रीरामचंद्रजीकी प्रसन्नताके लिए राम रक्षा स्तोत्रके जपमें विनियोग किया जाता है ।



॥ अथ ध्यानम्‌ ॥

ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्दद्पद्‌मासनस्थं ।
पीतं वासोवसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्‌ ॥
वामाङ्‌कारूढसीता मुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं ।
नानालङ्‌कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचंद्रम्‌ ॥

अर्थ :
 ध्यान धरिए — जो धनुष-बाण धारण किए हुए हैं,बद्ध पद्मासनकी मुद्रामें विराजमान हैं और पीतांबर पहने हुए हैं, जिनके आलोकित नेत्र नए कमल दलके समान स्पर्धा करते हैं, जो बायें ओर स्थित सीताजीके मुख कमलसे मिले हुए हैं- उन आजानु बाहु, मेघश्याम,विभिन्न अलंकारोंसे विभूषित तथा जटाधारी श्रीरामका ध्यान करें ।

॥ इति ध्यानम्‌ ॥

चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्‌ ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्‌ ॥१॥

अर्थ : 
श्री रघुनाथजीका चरित्र सौ कोटि विस्तारवाला हैं ।उसका एक-एक अक्षर महापातकोंको नष्ट करनेवाला है ।

ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्‌ ।
जानकीलक्ष्मणॊपेतं जटामुकुटमण्डितम्‌ ॥२॥

अर्थ :
 नीले कमलके श्याम वर्णवाले, कमलनेत्रवाले , जटाओंके मुकुटसे सुशोभित, जानकी तथा लक्ष्मण सहित ऐसे भगवान् श्रीरामका स्मरण कर,

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तं चरान्तकम्‌ ।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम्‌ ॥३॥

अर्थ :
 जो अजन्मा एवं सर्वव्यापक, हाथोंमें खड्ग, तुणीर, धनुष-बाण धारण किए राक्षसोंके संहार तथा अपनी लीलाओंसे जगत रक्षा हेतु अवतीर्ण श्रीरामका स्मरण कर,

रामरक्षां पठॆत्प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम्‌ ।
शिरो मे राघव: पातु भालं दशरथात्मज: ॥४॥

अर्थ :
 मैं सर्वकामप्रद और पापोंको नष्ट करनेवाले राम रक्षा स्तोत्रका पाठ करता हूं । राघव मेरे सिरकी और दशरथके पुत्र मेरे ललाटकी रक्षा करें ।

कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल: ॥५॥

अर्थ :
 कौशल्या नंदन मेरे नेत्रोंकी, विश्वामित्रके प्रिय मेरे कानोंकी, यज्ञरक्षक मेरे घ्राणकी और सुमित्राके वत्सल मेरे मुखकी रक्षा करें ।

जिव्हां विद्यानिधि: पातु कण्ठं भरतवंदित: ।
स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक: ॥६॥

अर्थ : 
विद्यानिधि मेरी जिह्वाकी रक्षा करें, कंठकी भरत-वंदित, कंधोंकी दिव्यायुध और भुजाओंकी महादेवजीका धनुष तोडनेवाले भगवान् श्रीराम रक्षा करें ।

करौ सीतपति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित्‌ ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय: ॥७॥

अर्थ :
 मेरे हाथोंकी सीता पति श्रीराम रक्षा करें, हृदयकी जमदग्नि ऋषिके पुत्रको (परशुराम) जीतनेवाले, मध्य भागकी खरके (नामक राक्षस) वधकर्ता और नाभिकी जांबवानके आश्रयदाता रक्षा करें ।

सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभु: ।
ऊरू रघुत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत्‌ ॥८॥

अर्थ : 
मेरे कमरकी सुग्रीवके स्वामी, हडियोंकी हनुमानके प्रभु और रानोंकी राक्षस कुलका विनाश करनेवाले रघुकुलश्रेष्ठ रक्षा करें ।

जानुनी सेतुकृत्पातु जङ्‌घे दशमुखान्तक: ।
पादौ बिभीषणश्रीद: पातु रामोSखिलं वपु: ॥९॥

अर्थ :
 मेरे जानुओंकी सेतुकृत, जंघाओकी दशानन वधकर्ता, चरणोंकी विभीषणको ऐश्वर्य प्रदान करनेवाले और सम्पूर्ण शरीरकी श्रीराम रक्षा करें ।

एतां रामबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठॆत्‌ ।
स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत्‌ ॥१०॥

अर्थ : 
शुभ कार्य करनेवाला जो भक्त भक्ति एवं श्रद्धाके साथ रामबलसे संयुक्त होकर इस स्तोत्रका पाठ करता हैं, वह दीर्घायु, सुखी, पुत्रवान, विजयी और विनयशील हो जाता हैं ।

पातालभूतलव्योम चारिणश्छद्‌मचारिण: ।
न द्र्ष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि: ॥११॥

अर्थ :
 जो जीव पाताल, पृथ्वी और आकाशमें विचरते रहते हैं अथवा छद्दम वेशमें घूमते रहते हैं , वे राम नामोंसे सुरक्षित मनुष्यको देख भी नहीं पाते ।

रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन्‌ ।
नरो न लिप्यते पापै भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥१२॥

अर्थ :
 राम, रामभद्र तथा रामचंद्र आदि नामोंका स्मरण करनेवाला रामभक्त पापों से लिप्त नहीं होता, इतना ही नहीं, वह अवश्य ही भोग और मोक्ष दोनोंको प्राप्त करता है ।

जगज्जेत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम्‌ ।
य: कण्ठे धारयेत्तस्य करस्था: सर्वसिद्द्दय: ॥१३॥

अर्थ : 
जो संसारपर विजय करनेवाले मंत्र राम-नाम से सुरक्षित इस स्तोत्र को कंठस्थ कर लेता हैं, उसे सम्पूर्ण सिद्धियाँ प्राप्त हो जाती हैं ।

वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत्‌ ।
अव्याहताज्ञ: सर्वत्र लभते जयमंगलम्‌ ॥१४॥

अर्थ :
 जो मनुष्य वज्रपंजर नामक इस राम कवचका स्मरण करता हैं, उसकी आज्ञाका कहीं भी उल्लंघन नहीं होता तथा उसे सदैव विजय और मंगलकी ही प्राप्ति होती हैं ।

आदिष्टवान्यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर: ।
तथा लिखितवान्‌ प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक: ॥१५॥

अर्थ :
 भगवान् शंकरने स्वप्नमें इस रामरक्षा स्तोत्रका आदेश बुध कौशिक ऋषिको दिया था, उन्होंने प्रातः काल जागनेपर उसे वैसा ही लिख दिया |

आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम्‌ ।
अभिरामस्त्रिलोकानां राम: श्रीमान्‌ स न: प्रभु: ॥१६॥

अर्थ :
 जो कल्प वृक्षोंके बागके समान विश्राम देने वाले हैं, जो समस्त विपत्तियोंको दूर करनेवाले हैं और जो तीनो लोकों में सुंदर हैं, वही श्रीमान राम हमारे प्रभु हैं ।

तरुणौ रूपसंपन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥१७॥

अर्थ : 
जो युवा,सुन्दर, सुकुमार,महाबली और कमलके (पुण्डरीक) समान विशाल नेत्रों वाले हैं, मुनियोंकी समान वस्त्र एवं काले मृगका चर्म धारण करते हैं ।

फलमूलशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥१८॥

अर्थ :
 जो फल और कंदका आहार ग्रहण करते हैं, जो संयमी , तपस्वी एवं ब्रह्रमचारी हैं , वे दशरथके पुत्र राम और लक्ष्मण दोनों भाई हमारी रक्षा करें ।

शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम्‌ ।
रक्ष:कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघुत्तमौ ॥१९॥

अर्थ : 
ऐसे महाबली – रघुश्रेष्ठ मर्यादा पुरूषोतम समस्त प्राणियोंके शरणदाता, सभी धनुर्धारियोंमें श्रेष्ठ और राक्षसोंके कुलोंका समूल नाश करनेमें समर्थ हमारा रक्षण करें ।

आत्तसज्जधनुषा विषुस्पृशा वक्षया शुगनिषङ्‌ग सङि‌गनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणा वग्रत: पथि सदैव गच्छताम्‌ ॥२०॥

अर्थ : 
संघान किए धनुष धारण किए, बाणका स्पर्श कर रहे, अक्षय बाणोसे युक्त तुणीर लिए हुए राम और लक्ष्मण मेरी रक्षा करनेके लिए मेरे आगे चलें ।

संनद्ध: कवची खड्‌गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन्‌मनोरथोSस्माकं राम: पातु सलक्ष्मण: ॥२१॥

अर्थ : 
हमेशा तत्पर, कवचधारी, हाथमें खडग, धनुष-बाण तथा युवावस्थावाले भगवान् राम लक्ष्मण सहित आगे-आगे चलकर हमारी रक्षा करें ।

रामो दाशरथि: शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण: कौसल्येयो रघुत्तम: ॥२२॥

अर्थ : 
भगवानका कथन है कि श्रीराम, दाशरथी, शूर, लक्ष्मनाचुर, बली, काकुत्स्थ , पुरुष, पूर्ण, कौसल्येय, रघुतम

वेदान्तवेद्यो यज्ञेश: पुराणपुरुषोत्तम: ।
जानकीवल्लभ: श्रीमानप्रमेय पराक्रम: ॥२३॥

अर्थ :
 वेदान्त्वेघ, यज्ञेश,पुराण पुरुषोतम , जानकी वल्लभ, श्रीमान और अप्रमेय पराक्रम आदि नामोंका

इत्येतानि जपेन्नित्यं मद्‌भक्त: श्रद्धयान्वित: ।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं संप्राप्नोति न संशय: ॥२४॥

अर्थ :
 नित्यप्रति श्रद्धापूर्वक जप करनेवालेको निश्चित रूपसे अश्वमेध यज्ञसे भी अधिक फल प्राप्त होता हैं ।

रामं दूर्वादलश्यामं पद्‌माक्षं पीतवाससम्‌ ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नर: ॥२५॥

अर्थ : 
दूर्वादलके समान श्याम वर्ण, कमल-नयन एवं पीतांबरधारी श्रीरामकी उपरोक्त दिव्य नामोंसे स्तुति करनेवाला संसारचक्रमें नहीं पडता ।

रामं लक्ष्मणं पूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुंदरम्‌ ।
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम्‌
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथनयं श्यामलं शान्तमूर्तिम्‌ ।
वन्दे लोकभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम्‌ ॥२६॥

अर्थ :
 लक्ष्मण जीके पूर्वज , सीताजीके पति, काकुत्स्थ, कुल-नंदन, करुणाके सागर , गुण-निधान , विप्र भक्त, परम धार्मिक, राजराजेश्वर, सत्यनिष्ठ, दशरथके पुत्र, श्याम और शांत मूर्ति, सम्पूर्ण लोकोंमें सुन्दर, रघुकुल तिलक , राघव एवं रावणके शत्रु भगवान् रामकी मैं वंदना करता हूं।

रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम: ॥२७॥

अर्थ :
 राम, रामभद्र, रामचंद्र, विधात स्वरूप , रघुनाथ, प्रभु एवं सीताजीके स्वामीकी मैं वंदना करता हूं।

श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम ।
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम ।
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥२८॥

अर्थ :
 हे रघुनन्दन श्रीराम ! हे भरतके अग्रज भगवान् राम! हे रणधीर, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ! आप मुझे शरण दीजिए ।

श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥२९॥

अर्थ :
 मैं एकाग्र मनसे श्रीरामचंद्रजीके चरणोंका स्मरण और वाणीसे गुणगान करता हूं, वाणी द्धारा और पूरी श्रद्धाके साथ भगवान् रामचन्द्रके चरणोंको प्रणाम करता हुआ मैं उनके चरणोंकी शरण लेता हूं |

माता रामो मत्पिता रामचंन्द्र: ।
स्वामी रामो मत्सखा रामचंद्र: ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु ।
नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥३०॥

अर्थ :
 श्रीराम मेरे माता, मेरे पिता , मेरे स्वामी और मेरे सखा हैं ।इस प्रकार दयालु श्रीराम मेरे सर्वस्व हैं, उनके सिवामें किसी दुसरेको नहीं जानता ।

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे तु जनकात्मजा ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनंदनम्‌ ॥३१॥

अर्थ :
 जिनके दाईं और लक्ष्मणजी, बाईं और जानकीजी और सामने हनुमान ही विराजमान हैं, मैं उन्ही रघुनाथजीकी वंदना करता हूं ।

लोकाभिरामं रनरङ्‌गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्‌ ।
कारुण्यरूपं करुणाकरंतं श्रीरामचंद्रं शरणं प्रपद्ये ॥३२॥

अर्थ : 
मैं सम्पूर्ण लोकोंमें सुन्दर तथा रणक्रीडामें धीर, कमलनेत्र, रघुवंश नायक, करुणाकी मूर्ति और करुणाके भण्डार रुपी श्रीरामकी शरणमें हूं।

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्‌ ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥३३॥

अर्थ : 
जिनकी गति मनके समान और वेग वायुके समान (अत्यंत तेज) है, जो परम जितेन्द्रिय एवं बुद्धिमानोंमें श्रेष्ठ हैं, मैं उन पवन-नंदन वानारग्रगण्य श्रीराम दूतकी शरण लेता हूं ।

कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम्‌ ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम्‌ ॥३४॥

अर्थ : 
मैं कवितामयी डालीपर बैठकर, मधुर अक्षरोंवाले ‘राम-राम’ के मधुर नामको कूजते हुए वाल्मीकि रुपी कोयलकी वंदना करता हूं ।

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसंपदाम्‌ ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्‌ ॥३५॥

अर्थ : 
मैं इस संसारके प्रिय एवं सुन्दर , उन भगवान् रामको बार-बार नमन करता हूं, जो सभी आपदाओंको दूर करनेवाले तथा सुख-सम्पति प्रदान करनेवाले हैं ।

भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसंपदाम्‌ ।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम्‌ ॥३६॥

अर्थ : 
‘राम-राम’ का जप करनेसे मनुष्यके सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं । वह समस्त सुख-सम्पति तथा ऐश्वर्य प्राप्त कर लेता हैं । राम-रामकी गर्जनासे यमदूत सदा भयभीत रहते हैं ।

रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे ।
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नम: ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोSस्म्यहम्‌ ।
रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥३७॥

अर्थ :
 राजाओंमें श्रेष्ठ श्रीराम सदा विजयको प्राप्त करते हैं । मैं लक्ष्मीपति भगवान् श्रीरामका भजन करता हूं। सम्पूर्ण राक्षस सेनाका नाश करनेवाले श्रीरामको मैं नमस्कार करता हूं । श्रीरामके समान अन्य कोई आश्रयदाता नहीं । मैं उन शरणागत वत्सलका दास हूं। मैं सद्सिव श्रीराममें ही लीन रहूं । हे श्रीराम! आप मेरा (इस संसार सागर से) उद्धार करें ।

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे । सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥३८॥

अर्थ : 
(शिव पार्वती से बोले –) हे सुमुखी ! राम- नाम ‘विष्णु सहस्त्रनाम’ के समान हैं । मैं सदा रामका स्तवन करता हूं और राम-नाममें ही रमण करता हूं ।

इति श्रीबुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं संपूर्णम्‌ ॥

अर्थ :
 इस प्रकार बुधकौशिकद्वारा रचित श्रीराम रक्षा स्तोत्र सम्पूर्ण होता है ।

॥ श्री सीतारामचंद्रार्पणमस्तु ॥



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घरेलू बिजली कनेक्शन कैसे ले पूरी जानकारी By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦घरेलू बिजली कनेक्शन कैसे ले how to apply for domestic electricity connection in hindi : घर में बिजली का उपयोग करने के लिए घरेलु बिजली कनेक्शन लगवाया जाता है। ये जरुरत के अनुसार LT या HT connection हो सकता है। ज्यादातर लोग सिंगल फेज ही घर में इस्तेमाल करते है। लेकिन अधिकांश लोग नहीं जानते है कि घरेलू बिजली कनेक्शन कैसे लिया जाता है, इसके लिए आवेदन कैसे किया जाता है ? इसीलिए हमने यहाँ सरल भाषा में इसकी पूरी जानकारी दे रहे है।घरेलु बिजली कनेक्शन लगवाने के लिए आपको ये जानना जरुरी है कि घरेलु कनेक्शन क्या होते है ? इसके लिए कौन कौन से डॉक्यूमेंट की आवश्यकता पड़ती है और इसके लिए आवेदन कैसे करते है ? क्योंकि बिना इसके जाने आपको कनेक्शन मिलने में परेशानी आएगी। बिजली वितरण कंपनियों ने घरेलु कनेक्शन देने के लिए निर्धारित मापदंड और प्रक्रिया तय किये है। इसे जानना आपके लिए काफी जरुरी है। तो चलिए बिना टाइम गवांयें शुरू करते है।घरेलू-बिजली-कनेक्शनविषय - सूची छुपाएँ घरेलू बिजली कनेक्शन कैसे ले ?घरेलू बिजली कनेक्शन क्या है ?घरेलू बिजली कनेक्शन के लिए क्या क्या डॉक्यूमेंट चाहिए ?घरेलू बिजली कनेक्शन के नियमघरेलू बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन कैसे करें ?घरेलू बिजली कनेक्शन के लिए ऑनलाइन अप्लाई कैसे करें ?घरेलू बिजली कनेक्शन कैसे ले ?घरेलु बिजली कनेक्शन (Domestic Connection) लेना काफी आसान है। क्योंकि ये अधिकांश LT कनेक्शन होते है। इसके कारण ज्यादा डॉक्यूमेंट की मांग नहीं किया जाता है। आपको निर्धारित आवेदन फॉर्म को भरकर जमा करना होता है। इसके बाद आपके घर मीटर लग जायेगा। घरेलू बिजली कनेक्शन लगवाने की पूरी प्रक्रिया को हमने नीचे एक एक करके बताया है। आप इसे ध्यान से पढ़ें। चलिए सबसे पहले जानते है कि घरेलू बिजली कनेक्शन क्या है ?घरेलू बिजली कनेक्शन क्या है ?घर में सामान्य उपयोग के लिए जैसे – बल्ब, पंखा, कूलर, एयर कंडीशनर (AC), टीवी, फ्रीज़, घरेलु पानी पम्प आदि के उद्देश्य से उपयोग किये जाने वाले बिजली को घरेलु कनेक्शन कहा जाता है। घरेलु कनेक्शन में व्यावसायिक उपयोग की अनुमति नहीं दिया जाता है। इसमें सिंगल फेज की जरुरत ज्यादा पड़ती है। लेकिन जरुरत के अनुसार 3 फेज का कनेक्शन भी लगवाते है।घरेलू बिजली कनेक्शन के लिए क्या क्या डॉक्यूमेंट चाहिए ?घरेलु बिजली कनेक्शन लगवाने के लिए ज्यादा डॉक्युमेंट की जरुरत नहीं पड़ती है। फिर भी जो चीजें अनिवार्य है उसे आप नीचे लिस्ट में देख सकते है –नई बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन फॉर्म लगेगा।एग्रीमेंट की कॉपी लगेगाशपथ पत्र लगेगाजिस जगह कनेक्शन लगता है उसका पेपर लगेगाराशन कार्डआधार कार्डपासपोर्ट साइज फोटोघरेलू बिजली कनेक्शन के नियमघरेलु बिजली कनेक्शन लगवाने के लिए कोई कठोर नियम नहीं बनाये गए है। लेकिन आपको इसके दिशा निर्देश के अनुसार ही कनेक्शन मिलता है। इसे आप नीचे पढ़ सकते है –नया बिजली कनेक्शन बिना मीटर के नहीं दिया जाएगा।बिजली मीटर डिजिटल रहेगा।आवेदक मूल निवासी होना चाहिए।जहाँ कनेक्शन लगवाना है उसका पेपर होना चाहिए।प्रतिमाह बिजली बिल का भुगतान करना होगा।बिजली बिल नहीं पटाने की स्थिति में विभाग कभी भी आपका कनेक्शन काट सकता है।घरेलु कनेक्शन का उपयोग व्यावसायिक कार्य हेतु नहीं किया जा सकेगा।उपभोक्ता ऑनलाइन या ऑफलाइन बिल भुगतान कर सकेंगे।घरेलू बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन कैसे करें ?घरेलु बिजली कनेक्शन हेतु आवेदन करना बहुत आसान है। इसके लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों सुविधा मौजूद है। चलिए सबसे पहले ऑफलाइन प्रक्रिया के बारे में जानते है।सबसे पहले घरेलु बिजली कनेक्शन का आवेदन फॉर्म प्राप्त करें। ये ऑनलाइन अपने बिजली कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते है। या आप बिजली ऑफिस या किसी स्टेशनरी से भी प्राप्त कर सकते है।आवेदन फॉर्म मिल जाने के बाद इसे ध्यान से भरें। इसमें आवेदक का नाम और पता ध्यान से लिखें। इसमें बिजली का लोड विवरण भी भरना अनिवार्य है।आवेदन फॉर्म के साथ अनिवार्य सभी दस्तावेज की फोटोकॉपी भी जरूर लगाएं।आवेदन फॉर्म भरने के बाद इसे सम्बंधित बिजली ऑफिस में सम्बंधित अधिकारी के पास जमा कर दें।आवेदन जमा करने के बाद उसकी पावती लेना ना भूलें।आवेदन की जाँच उपरान्त आपके घर मीटर लगाया जायेगा। इसके साथ ही नई बिजली कनेक्शन भी आपके घर जोड़ा जायेगा।घरेलू बिजली कनेक्शन के लिए ऑनलाइन अप्लाई कैसे करें ?आप घर बैठे भी घरेलू बिजली कनेक्शन के लिए अप्लाई कर सकते है। सभी बिजली कंपनियों ने इसकी सुविधा प्रदान किया हुआ है। चलिए इसकी प्रक्रिया को भी समझते है।सबसे पहले बिजली वितरण कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट में जाना होगा।इसके बाद वेबसाइट में दिए गए Online New Connection ऑप्शन को चुनें।इसके बाद स्क्रीन पर आपसे मांगी गई सभी डिटेल्स को ध्यान से भरें।फिर सम्बंधित दस्तावेज को अपलोड करें।नई कनेक्शन के लिए लगने वाले चार्ज को ऑनलाइन बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड में माध्यम से पेमेंट करें।इसके बाद स्क्रीन पर रिसीप्ट मिलेगा। इसे ध्यान से सुरक्षित करके रख लें।आपके आवेदन की जाँच उपरांत बिजली विभाग आपके घर मीटर और नई कनेक्शन लगा देगा।इसे पढ़ें – कमर्शियल बिजली कनेक्शन कैसे ले पूरी जानकारीसारांश : घरेलू बिजली कनेक्शन कैसे ले, इसकी पूरी जानकारी स्टेप By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦स्टेप जानकारी यहाँ बताया गया है। अब कोई भी व्यक्ति बहुत आसानी से अपने घर में नई कनेक्शन लगवा पायेगा। अगर कनेक्शन लेने में आपको कोई परेशानी आये या इससे सम्बंधित आपके मन में कोई सवाल हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में हमें बता सकते है। हम आपकी पूरी मदद करेंगे।हमें उम्मीद है कि नई बिजली कनेक्शन लेने की जानकारी आपको पसंद आया होगा। आप चाहे तो इस जानकरी को शेयर कर सकते है। इस वेबसाइट पर हम बिजली बिल से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करते है। अगर आप ऐसे ही नई नई जानकारी और लेटेस्ट अपडेट पाना चाहते हो तो गूगल सर्च बॉक्स पर www.bijlibillcheck.com सर्च करके भी यहाँ आ सकते हो। धन्यवाद !Categories बिजली कनेक्शनTagsDomestic Connection, घरेलू बिजली कनेक्शन, नई बिजली कनेक्शन कैसे ले, बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन कैसे करेंबिजली बिल से सम्बंधित समस्या यहाँ लिखें